Biosecure act 2024

एक अमेरिकी कानून भारतीय दवा कंपनियों (Indian Pharmaceuticals Companies) के लिए मुनाफे का सौदा बन सकती है, अतिरिक्त बड़े ऑर्डर के दरवाजे खोल सकती है। अमेरिकी संसद ने सोमवार को 'बायोसिक्योर एक्ट' पारित कर दिया।

Biosecure act 2024

बायोसिक्योर एक्ट 2024 (Biosecure Act 2024 ) क्या है?

और भारत की फार्मा इंडस्ट्री को क्या फायदा होगा -चीन के लिए झटका

बायोसिक्योर एक्ट से भारत शिफ्ट होंगे चीन को मिल रहे फार्मा ऑर्डर

एक अमेरिकी कानून भारतीय दवा कंपनियों (Indian Pharmaceuticals Companies) के लिए मुनाफे का सौदा बन सकती है, अतिरिक्त बड़े ऑर्डर के दरवाजे खोल सकती है। अमेरिकी संसद ने सोमवार को 'बायोसिक्योर एक्ट' पारित कर दिया। यह उन फार्मों कंपनियों को चीन की चुनिंदा बायोटेक कंपनियों को ऑर्डर देने से रोकता है जिन्हें अमेरिकी सरकार से पूंजी मिलती है। ऐसे में इन्हें भारत, जापान और कोरिया की बायोटेक कंपनियों के साथ अनुबंध करना पड़ेगा।

बायोसिक्योर एक्ट (Biosecure Act) के प्रावधानों का सबसे गहरा असर वूशी ऐपटेक कंपनी जैसी चाइनीज एंटीटी पर होगा। इसे करीब 65% आय अमेरिका देती है। यही वजह है कि हॉन्गकॉन्ग एक्सचेंज में मंगलवार को इस कंपनी के शेयर में 10% से ज्यादा गिरावट आई। अमेरिकी शेयर बाजारों (American Share Markets)ने इस बात की 70% उम्मीद जताई है कि इस साल के अंत तक बायोसिक्योर एक्ट लागू हो जाएगा। इसके बाद कुछ अमेरिकी फार्मा कंपनियों को नए पार्टनर तलाशने होंगे। उनके लिए सबसे मुफीद पार्टनर भारतीय फार्मा कंपनियां हो सकती हैं।

भारतीय फार्मा शेयरों में 105% तक उछाल बजाज फिनसर्व एसेट मैनेजमेंट(Bajaj Finserv Asset Management Company) के मुख्य निवेश अधिकारी निमेश चंदन ने कहा कि भारतीय फार्मा कंपनियां अमेरिका में नए मौके भुनाने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में हैं। अमेरिकी संसद में इस साल 25 जनवरी को बायोसिक्योर एक्ट बिल पेश हुआ था। तब से अब तक दिवीज लैब्स (Divis Lab's), पिरामल फार्मा (Piramal Pharma), सिनजीन इंटरनेशनल (Singin's International) और न्यूलैंड लैब्स जैसे शेयरों में 34-105% उछाल आ चुका है।

चीन से 31% फार्मा प्रोडक्ट आयात करता है अमेरिका

2023 में अमेरिका ने भारत और चीन से वजन में 57.6% फार्मा प्रोडक्ट्स का आयात किया था। इसमें चीन की हिस्सेदारी 31.5% थी। इन दोनों देशों से अमेरिका ने कुल 1.6 लाख करोड़ रुपए के फार्मा प्रोडक्ट आयात किए। इसमें चीन की हिस्सेदारी 65, 469 करोड़ रुपए की रही। इसका एक बड़ा हिस्सा भारत शिफ्ट हो सकता है।

अमेरिका में 40% जेनरिक दवा बाजार पर भारत का दबदबा 

अमेरिकी डॉक्टर पर्ची पर 91% जेनरिक दवा (Generic Medicines) लिखते हैं। ब्रांडेड दवा के मुकाबले दाम कम होने की वजह से अमेरिका में जेनरिक दवाओं की लोकप्रियता साल दर साल बढ़ रही है। वहां करीब 40% जेनरिक दवाओं की सप्लाई भारतीय कंपनियां करती हैं। लेकिन चीन भी अमेरिकी फार्मा मार्केट का बड़ा सप्लायर है। यही वजह है कि चीन की कुछ कंपनियों पर अंकुश लगने से अमेरिका में भारतीय दवा कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी बढ़ेगी। इसे देखते हुए अमेरिकी निवेशक भारतीय फार्मा शेयरों पर दांव लगा रहे हैं।