MAHA SHIVRATRI 2023

गढ़पुरा के मिथिलांचल एवं जिले का प्रसिद्ध गढ़पुरा स्थित बाबा हरि गिरि धाम का पौराणिक प्रमाण है। पंडित दिनेश झा इंदू ने बताया कि ब्रह्मवैवर्त पुराण में मंगला देवी की चर्चा आई है, इसमें लिखा गया है कि कमल दल से पूर्ण सरोवर के मध्य मंगला देवी का निवास है।

MAHA SHIVRATRI 2023
Maha shivratri 2023

महा शिवरात्रि 2023

 

महा शिवरात्रि 2023- शनिवार, 18 फरवरी 2023

 

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 18 फरवरी 2023 को रात 08 बजकर 02 मिनट पर

 

चतुर्दशी तिथि समाप्त- 19 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर

 

शिवरात्रि पारण का समय - 19 फरवरी 2023 को सुबह 06:41 बजे से दोपहर 03:30 बजे तक

क्यों मनाते हैं महा शिवरात्रि: भगवान शिव का प्रिय दिन, विवाह की वर्षगाँठ।

महा शिवरात्रि 2023

महा शिवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में बड़े पैमाने पर भगवान शिव की श्रद्धा में मनाया जाता है। इसे पद्मा राजरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार हर साल हिंदू कैलेंडर के माघ महीने की 13वीं रात/14वें दिन कृष्ण पक्ष या कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है।

पुराणों के अनुसार

 

यह दिन भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है क्योंकि इसी दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ था। इसलिए इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस शुभ दिन पर जो व्यक्ति व्रत रखता है और भगवान शिव की पूजा करता है उसे कभी भी नरक की यातना नहीं झेलनी पड़ती है।

 

महाशिवरात्रि का महत्व

कई भक्त पूरे दिन का उपवास और रात भर जागरण भी करते हैं और भगवान शिव की पूजा में "ओम नमः शिवाय" को समर्पित पवित्र पंचाक्षर मंत्र का जाप करते हैं। कुछ भक्त योग और ध्यान के अभ्यास में वरदान पाने के लिए तपस्या भी करते हैं।

 

महाशिवरात्रि पर, निशिता कला शिव पूजा करने का आदर्श समय है। इस दिन सभी शिव मंदिरों में लिंगोद्भव पूजा की जाती है।

इस दिन सुबह से ही भक्तों का मंदिरों में आना शुरू हो जाता है। वे शिवलिंग पर जल, दूध और बेल पत्र चढ़ाते हैं।

नेपाल में, प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लाखों हिंदू एक साथ शिवरात्रि में भाग लेते हैं। नेपाल के सभी अलग-अलग प्रसिद्ध शिव शक्ति पीठों में भी हजारों श्रद्धालु महाशिवरात्रि में शामिल होते हैं।

 

भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के मंडी में हर साल एक सप्ताह तक चलने वाला अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि मेला आयोजित किया जाता है, जो राज्य के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है।



महाशिवरात्रि पर विशेष  गढ़पुरा (बेगूसराय) बाबा हरि गिरि धाम की पुराणों में भी चर्चा

MAHA SHIVRATRI 2023 SPECIAL IN BEGUSARAI

 

गढ़पुरा के मिथिलांचल एवं जिले का प्रसिद्ध गढ़पुरा स्थित बाबा हरि गिरि धाम का पौराणिक प्रमाण है। पंडित दिनेश झा इंदू ने बताया कि ब्रह्मवैवर्त पुराण में मंगला देवी की चर्चा आई है, इसमें लिखा गया है कि कमल दल से पूर्ण सरोवर के मध्य मंगला देवी का निवास है। जिस कमल दल सरोवर को कावर के रूप में तथा मंगला देवी को आज लोग जय मंगला माता के नाम से जानते हैं। उसके दक्षिण दिशा की ओर मुड़ी हुई चंद्रभागा ज नदी कल-कल छल-छल बहती है। इसके तट पर महा श्मशान है, जहां शिव वास करते हैं जो हर मनोकामना को पूरा करते हैं। इसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि हरि गिरि धाम में चंद्रभागा नदी दक्षिण दिशा की ओर मुड़ी हुई है। आज भी उस चंद्रभागा नदी के किनारे लोग शवों का दाह संस्कार करते हैं। इस पौराणिक प्रमाण से इसकी प्राचीनता एवं पवित्रता का बोध होता है।

 

बाबा हरि गिरि धाम शिव मंदिर

 

उन्होंने इससे भी बड़ा प्रमाण रुद्रयामल तंत्र एवं कालिका पुराण में मिलने की बात बताई है। इसकी चर्चा करते हुए कहा कि पुराणों में वर्णन है कि मिथिला एवं अंग देश की सीमा पर दक्षिणायन चंद्रभागा नदी के तट पर शिव का वास है, जहां उनकी पूजा सप्तकुंड के जल से की जाती है। वहीं त्रिदंडी ऋषी का निवास है। इस देवभूमि में सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस वर्णन से स्पष्ट होता है। कि मिथिला भूमि एवं अंग देश मुंगेर की सीमा यही है। यहां सात कूपों का अस्तित्व मिला है तथा त्रिदंडी ऋषि का समाधि आज भी मौजूद है। 

 

यहां पूर्ण विश्वास के साथ आने वाले शिव भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हो रही हैं। उनके महामंत्र ओम नमः शिवाय के जाप से सारे दुख दूर हो जाते हैं। यहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि का भव्य आयोजन होता है। उस दिन दूर-दूर से लोग आकर बाबा भोलेनाथ के महाशिवरात्रि को शिव बारात में शामिल होते हैं।

 

बाबा बैद्यनाथ धाम महाशिवरात्रि 2023 पर विशेष

बाबा बैद्यनाथ धाम को बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भगवान शिव का सबसे पवित्र निवास स्थान है। बाबा धाम एक मंदिर परिसर है जिसमें बाबा बैद्यनाथ का मुख्य मंदिर है, जहां ज्योतिर्लिंग स्थापित है और 21 अन्य मंदिर स्थापित हैं।

शिवगंगा, जिसे पहले वर्वोघर कुंड के नाम से जाना जाता था, की स्थापना रावण ने तब की थी जब उसने पृथ्वी पर अपनी मुट्ठी से वार किया था। उस समय एक विशाल जल धारा निकली और एक तालाब बन गया जिसे वर्तमान में शिवगंगा के नाम से जाना जाता है। यह भी माना जाता है कि इस स्थान पर रावण ने शिवलिंगम को भगवान विष्णु को सौंप दिया था जो एक ब्राह्मण के रूप में प्रच्छन्न थे।

भक्त शिवगंगा पर स्नान कर सकते हैं और भगवान शिव की पूजा में भाग ले सकते हैं।

अन्य दर्शनीय स्थलों में प्रसिद्ध नौलखा मंदिर, रामकृष्ण मिशन, बालानंद आश्रम और प्रभु जगबंधु आश्रम शामिल हैं।