Chaurchan Kab Hai

Chaurchan Kab Hai

Chaurchan Kab Hai
chaurchan kab hai

Chaurchan Kab Hai चौरचन  व्रत 2023

मिथिला पंचांग के अनुसार चौरचन व्रत 2023 कब है?

बिहार के मिथिला पंचांग के अनुसार चौरचन व्रत (chaurchan Date) 18 सितंबर 2023 को है, वही देश भर में गणेश चतुर्थी का त्योहार 19 सितंबर 2023 को मनाया जाएगा ।

 बिहार के मिथिला प्रांत में चौरचन का त्यौहार को श्रद्धा और आस्था से मनाया जाता है इस दिन को चौक चंदा (CHAUK CHANDA) के नाम से भी जाना जाता है।

 

CHAURCHAN PUJA 2023 चौरचन 2023 

बिहार के मिथिला प्रांत की एक विशेष विरासत है चौरचन पूजा का त्यौहार इस त्यौहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है । इस व्रत को चौक चंदा के नाम से भी जाना जाता है ।  यह त्यौहार भादो मास में मनाए जाने वाले मुख्य त्योहारों में से एक है । चौरचन का त्यौहार अपनी एक मुख्य विशेषता रखता है । 

 

तो आइये जानते है क्यों खास है ये व्रत किस दिन रखा जाएगा चौरचन का व्रत,  चौरचन 2023 का महत्व क्या है? 



Festival

Chaurchan Puja 2023

Chaurchan date 2023

18 september 2023

Day

Monday

Region

Mithila region of Bihar, UP

 

चौक चंदा 2023 के व्रत के बारे में यहां जाने सब कुछ

चौरचन पूजा 2023 चौरचन का व्रत मुख्य तौर पर बिहार के मिथिला प्रांत में मनाया  जाता है इस व्रत को चौक चंदा के नाम से भी जाना जाता है चौरचन का व्रत हर साल भादो या  भादव मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता है । 

इस बार यह व्रत 18 सितंबर 2023 को रखा जाएगा इस दिन चांद की पूजा का विशेष महत्व है चौरचन की पूजा शाम को चांद के उगने के बाद बड़े ही हर्सोल्लाष के साथ मनाया जाता है । 

इस दिन शाम को चांद उगने के बाद चांद को अर्घ दिया जाता है ऐसी मान्यता है कि इस दिन चांद कुछ ही समय के लिए उगता है ।  इस कारण इसे चौठ चांद भी कहा जाता है इस दिन सुहागिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर प्रसाद के लिए अलग-अलग पकवान बनाती है शाम को बनाए गए प्रसाद को अर्पित किया जाता है।  

आइए जानते हैं चौरचन व्रत 2023 की विशेषता क्या है

 चौरचन 2023 व्रत मान्यता और विशेषतायें क्या है

  •  चौरचन 2023 बहुत ही ज्यादा उत्साह से मनाया जाता है इस दिन सुहागिन स्त्रियों के लिए  शाम के समय आंगन में रंगोली बनाया जाता है 

  • इस पूजा में गुर की खीर, मिटटी के बर्तन में जमे दही और फलो का विशेष महत्वा है कई तरह के फल भी प्रसाद में चढ़ाए जाते हैं ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख समृद्धि आती है शाम के समय सारा सामान बनाकर बांस की डलिया में सजाकर चंद्रमा को चढ़ाया जाता  है 

  • पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन ही चंद्रमा को कलंक लगा था इस कारण इस दिन चांद को देखने के लिए मना किया  जाता है इस दिन हाथ में कुछ प्रसाद लेकर ही चांद के दर्शन करने को कहा जाता है 

  • इस दिन व्रत करने से घर में सुख शांति आती है और चंद्रमा को अर्घ देने से झूठ के कलंक से मुक्ति मिलती है और धन धान्य का आगमन होता है 

चौरचन पूजा की विधि 

चौरचन पूजा एवं व्रत में विधि का एक विशेष महत्व है यह महत्व मिथिला में मनाए जाने वाले त्यौहारों और संस्कृति की एक विशेष छाप छोड़ता है अतः हम पूजा की विधि आपसे साझा करने जा रहे हैं कुछ जगहों पर इस विधि में अंतर हो सकता है लेकिन ज्यादातर जगहों पर इसी विधि के द्वारा पूजा संपन्न की जाती है 

  •  इस दिन लोग सुबह से लेकर शाम  तक व्रत रखते हैं यह व्रत महिलाएं अपने पुत्रों की लंबी उम्र के लिए रखती  है  और जिससे जीवन में कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े

  •  शाम तक व्रत रखने के बाद शाम के समय घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपा जाता है  फिर कच्चे चावल को पीसकर रंगोली तैयार की जाती है और इस रंगोली से आंगन को सजाया जाता है 

  • केले के पत्ते में एक गोल चांद बनता है इस त्यौहार में तरह-तरह की मिठाइयां चढ़ाई जाती है जैसे गुर की खीर, मिटटी के बर्तन में जमे दही और फल

चौरचन पूजा में दही का महत्व

 पूजा में दही का एक विशेष महत्व रहता है चौरचन पूजा के दिन मिट्टी के बर्तन में जमाई गए दही का अलग ही महत्व है इस दही को पूजा में सम्मिलित किया जाता है और बांस की बनी हुई डलिया में सजाया जाता है

 

मिथिला की संस्कृति को जगाये रखने के लिए इस पोस्ट को अपने लोगो के बिच जरूर शेयर करे 

देश, दुनिया और मिथिला  की अन्य ख़बरों के लिए द बेगुसराई पोस्ट को फॉलो करना न भूले